स्पेस टेक्नोलॉजी एक ऐसी तकनीक है जो मानव जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह तकनीक अंतरिक्ष अनुसंधान, सौर परिवहन, संचार और नेविगेशन को संभव बनाती है। यह विज्ञान भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, गणित, इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग जैसी विभिन्न शाखाओं के समन्वय से बनी होती है।
स्पेस टेक्नोलॉजी के विकास से शुरू होते हुए अब तक कई उपलब्धियां हुई हैं। इसमें अंतरिक्ष यान, उपग्रह, उपग्रह निर्माण, उपग्रहों के लिए निर्मित धातुओं और नवीनतम उपकरण शामिल हैं। स्पेस टेक्नोलॉजी के उपयोग से सूरज और अंतरिक्ष के रहस्यों को समझने के लिए अनेक उपयोगी उपग्रहों का निर्माण किया गया है।
स्पेस टेक्नोलॉजी के उपयोग से हम अंतरिक्ष में संचार कर सकते हैं
अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी का इतिहास
अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी एक ऐसा क्षेत्र है जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी के संगम से जुड़ा है। अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी ने मानवता को अपने स्वप्नों को पूरा करने में मदद की है। इसका इतिहास बहुत रोमांचक है।
पहली बार अंतरिक्ष में जाने का सपना साल 1957 में यूरोप में बैठे सोवियत संघ ने देखा था, जब वे अपना पहला उपग्रह उतारा था। यूरोप के लोग अंतरिक्ष में जाने के लिए बहुत उत्साहित थे और उन्होंने अपने उपग्रह खोजने के लिए बहुत कोशिश की। फिर अमेरिका, रूस, चीन और भारत जैसे अन्य देशों ने अपने उपग्रह उतारे और अंतरिक्ष अन्वेषण में अपना हिस्सा लिया।
1960 के दशक में, अमेरिका ने उत्तरी ध्रुव की ओर अपना पहला उपग्रह, ‘एक्सप्लोरर-1’ भेजा था। 1961 में, रूसी कॉस्मोनॉट Yuri Gagarin बन गया था पहला मानव जो स्पेस में गया था।
भारत का अंतरिक्ष तकनीक में स्थान
भारत अंतरिक्ष तकनीक में दुनिया में उन देशों में से एक है जो अपने खुद के स्पेस प्रोग्राम का विकास कर रहा है। इसके विकास में भारत अग्रणी देशों में से एक है।
भारत ने अपने पहले उपग्रह ‘आर्यभट्ट’ को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था, जो 1975 में हुआ था। इसके बाद से, भारत ने कई सफलताएं हासिल की हैं, जिसमें मंगलयान मिशन, चंद्रयान मिशन, प्रथम लोहा उपग्रह आदि शामिल हैं।
भारत का अंतरिक्ष प्रोग्राम अब अपनी विकास गति बढ़ा रहा है और भारतीय अंतरिक्ष संगठन (इसरो) संचालित उपग्रहों की भी एक बड़ी फ्लीट है। इसके अलावा, भारत अंतरिक्ष तकनीक में सफलता हासिल करने के लिए अपने विदेशी सहयोगियों के साथ भी संबंध बना रहा है।
भारत के अंतरिक्ष प्रोग्राम के बढ़ते सफलता के साथ-साथ भारत का अंतरिक्ष तकनीक में आने वाले वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी उन्नति का संकेत भी देता है।